
Kolkata : हवेली संगीत समारोह में एनडी रंगा शागिर्दों के साथ कोलकाता पहुंचे, कालीघाट पर हाजरी
RNE Kolkata-Bikaner.
दुनियाभर में श्रद्धा का विशेष केन्द्र शक्तिपीठ कोलकाता के कालीघाट पर पहुंचे बीकानेर के कलाकारों के एक दल ने कुछ इस अंदाज में स्तुतियों की प्रस्तुतियां दी कि वहां आते-जाते श्रद्धालुओं के पांव ठिठक गये। मंदिर के अहाते में सीढ़ियों पर बैठकर भवगती की स्तुति कर रहे इस दल में शामिल थे ख्यातनाम शास्त्रीय संगीतकार गायक नारायणदास रंगा। बिना किसी आयोजन शागिर्दों के साथ तालियों की ताल पर शास्त्रीय प्रस्तुतियों को रंगा ने माता के सामने हाजिरी की संज्ञा दी। कहा, कोलकाता पहुुंचने पर भवगती के सामने हाजिरी स्तुति है।दरअसल नारायण दास रंगा अपने शागिर्दाें, युवा संगीतकारों के साथ एक विशेष आयोजन में शिरकत करने कोलकाता पहुंचे हैं। वे यहां 19 अप्रैल को हो रहे युवा हवेली संगीत समारोह में हवेली संगीत की प्रस्ततियों के साथ ही इसकी बारीकियों पर बात करेंगे। धर्मतल्ला के भारतीय संस्कृति ऑडिटोरियम में होने वाले इस आयोजन में प्रस्तुति से पहले कालीघाट पर हाजिरी देने को भगवती की अनमुति लेना माना जा रहा है।
गौरतलब है कि एनडी रंगा हवेली संगीत के जाने-माने हस्ताक्षर होने के साथ ही अपने पिता एवं संगीत गुरू मोतीलाल रंगा की मातृभक्ति परंपरा के संवाहक है। पंडित मोतीलाल रंगा ‘थांरै दरसण सूं दुख दूर हुवै मां..’ ‘खमा ओसियों री धणियाणी..’ ‘म्हारी अरज सुणो हे जग जननी…’ जैसी बीसियों संगीत रचनाओं के रचनाकार थे। उनके ये भजन-स्तुतियां आज भी जनमानस में लोकप्रिय है।